Friday, 8 November 2013

बैंकिग सिस्टम में सुधार होना चाहिये ।

बैंक का काम बस पैसे सुरक्षा और लेन देन की सुरक्षा तक ही होना चाहिये । लोन, ब्याज और फलाना ढिकाना जैसे कोई भी काम करना नही होना चाहिये ।  जैसे कोई आपके पास २० रूपये है और आप बैंक में दे दो, जब निकालना हो निकाल लो । ब्याज मिलना ही नही चाहिये, बैंकिग पूरी तरह "profit less" कर देना चाहिये । बैंक आपको १% फयादा देकर पता नही कितना लाभ लेता है । बैंकिग सिस्टम में सबसे ज्यादा फायदा बैंक वालो को ही मिलता है । वो इस फायदे को बडाने के चक्कर में क्या क्या नही करते । पूरी तरह से economy को गुलाम बना कर रख दिया है । लोग मूरख की तरह सोचते है की ब्याज मिल रहा है लेकिन ये क्युँ नही सोचते की पैसे की वैल्यू भी तो घट रही है । पहले १०० रूपये में शादी हो जाती थी अब २ लाख में भी नही होती है । अगर आपने बैंकिग सिस्टम से १०० रूपये से १०,००० बना भी लिये तो कौन सा बडा काम कर दिया । बैंकिग सिस्टम पूरी तरह से सरकार के पास चला जाना चाहिये  और सारी बैंकिग सर्विस (जैसे लोन, ब्याज, गिफ्ट, ) जैसे सारी फालतू की सर्विस बंद कर देना चाहिये । बैंकिग सिस्टम का बस २ ही काम होना चाहिये ।

१) पैसे आपके अंकाउट में डालो (ब्रांच जाकर) ,
२) पैसे को निकालो  (ATM) या ओनलाईन ट्रांसफर कर दो (INTERNET TRANSFER) !

जितना डालोगे उतना ही मिलेगा, ना पैसे कटना चाहिये ना पैसा बडना चाहिये । बैंकिग सिस्टम हमारा नौकर है जिसको हमने हमारी अर्थव्यवस्था में होने वाले लेन देन को सरल बनाने के बनाया था, ना की अर्थव्यवस्था चलाने के लिये । ये नौकर हमारा मालिक बन गया । हो सके तो एक बैंक कर दो |

फिलहाल में ऐसा सोच रहा हूँ, आपकी राय चाहिये ।

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│  नरेन्द्र सिसोदिया
│  स्वदेशी प्रचारक, नई दिल्ली
│  http://narendrasisodiya.com
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